एक बार जो था ,
अब नहीं है।
जो न था , अब है ,
अब मै उन्हें नहीं चाहती।
एक बार , जो मै चाहती थी ,
वह नहीं थी ,
अब वह मेरे पास है।
लेकिन मै पुराने दिन ही चाहती हूँ।
एक बार , जो भी मै चाहती थी ,
वह नहीं थी,
और अब , जो मै न चाहूँ ,
वे भी मेरे पास है।
एक बार, मै वोह सब चाहती थी ,
जो आज मेरे पास है,
पर अब मै वह चाहती हूँ ,
जो तब थे , अब नहीं।
दिल में वे सब बस गए,
जो थे , अब नहीं,
अब तो मै उन्हें ही चाहती हूँ ,
जो तब थे , अब नहीं!!
मेरे दिल से पूछने पर ,
जवाब मिला,
चिंतित हुई मैं......
उसने कहा......
जो सब थे , उनकी इच्छा है मुझे
जो अब नहीं है , वोह चाहिए मुझे
जो अब है , वोह भी मुझे चाहिए!
समय के साथ बदलती गयी मै।
सरलता न बच पाया।
आज मै ने अपने आप को
आईने मै देखि तो,
अपने आप को पहेचान न पायी.....
न ही आइना मुझे पहेचान पाया था!!!!
एक दिन , आशा है,
मै अपने आप को देख लू ,
जैसे मैं थी - अब न हूँ!!!!!
एक दिन,
आशा हैं ,
मैं अपने आप को पहेचान पाऊँ!!
-अदिति शर्मा कुची
अब नहीं है।
जो न था , अब है ,
अब मै उन्हें नहीं चाहती।
एक बार , जो मै चाहती थी ,
वह नहीं थी ,
अब वह मेरे पास है।
लेकिन मै पुराने दिन ही चाहती हूँ।
एक बार , जो भी मै चाहती थी ,
वह नहीं थी,
और अब , जो मै न चाहूँ ,
वे भी मेरे पास है।
एक बार, मै वोह सब चाहती थी ,
जो आज मेरे पास है,
पर अब मै वह चाहती हूँ ,
जो तब थे , अब नहीं।
दिल में वे सब बस गए,
जो थे , अब नहीं,
अब तो मै उन्हें ही चाहती हूँ ,
जो तब थे , अब नहीं!!
मेरे दिल से पूछने पर ,
जवाब मिला,
चिंतित हुई मैं......
उसने कहा......
जो सब थे , उनकी इच्छा है मुझे
जो अब नहीं है , वोह चाहिए मुझे
जो अब है , वोह भी मुझे चाहिए!
समय के साथ बदलती गयी मै।
सरलता न बच पाया।
आज मै ने अपने आप को
आईने मै देखि तो,
अपने आप को पहेचान न पायी.....
न ही आइना मुझे पहेचान पाया था!!!!
एक दिन , आशा है,
मै अपने आप को देख लू ,
जैसे मैं थी - अब न हूँ!!!!!
एक दिन,
आशा हैं ,
मैं अपने आप को पहेचान पाऊँ!!
-अदिति शर्मा कुची
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